नम्रत्वेनोन्नमन्तः परगुणकथनैः स्वान्गुणान्ख्यापयन्तः
स्वार्थान्सम्पादयन्तो विततपृथुतरारम्भयत्नाः परार्थे।
क्षान्त्यैवाक्षेपरुक्षाक्षरमुखरमुखान्दुर्जनान्दूषयन्तः
सन्तः साश्चर्यचर्या जगति बहुमताः कस्य नाभ्यर्चनीयाः॥
नीतिशतकम्
नम्रत्व humility, humbleness तृतीयैकवचनान्त:(न)
→ नम्रत्वेन
उन्नम् to rise, to ascend, to go up कर्तरि वर्तमानकालवाचक धातुसाधित विशेषणम्
→ उन्नमत्
प्रथमाबहुवचनान्त:(पु)
→ उन्नमन्तः
पर other
गुण good quality
कथन narration, relation, description
परगुणकथन description of other's good qualities तृतीयाबहुवचनान्त:(न)
→ परगुणकथनैः
स्व self द्वितीयाबहुवचनान्त:(पु)
→ स्वान्
गुण good quality द्वितीयाबहुवचनान्त:(पु)
→ गुणान्
ख्या to declare, to relate, to tell कर्तरि वर्तमानकालवाचक धातुसाधित विशेषणम्
→ ख्यापयत्
प्रथमाबहुवचनान्त:(पु)
→ ख्यापयन्तः
स्व self
अर्थ objective
स्वार्थ own objective द्वितीयाबहुवचनान्त:(पु)
→ स्वार्थान्
सम्पद् to turn out well, to succeed, to prosper, to be accomplished, to be fulfilled कर्तरि वर्तमानकालवाचक धातुसाधित विशेषणम्
→ सम्पादयत्
प्रथमाबहुवचनान्त:(पु)
→ सम्पादयन्त:
वितत performed
पृथुतर larger, wider, broader, greater
आरम्भ beginning
यत्न effort, attempt
विततपृथुतरआरम्भयत्न who has begun greater effort प्रथमाबहुवचनान्त:(पु)
→ विततपृथुतरारम्भयत्नाः
पर other
अर्थ objective
परार्थ other's objective सप्तम्येकवचनान्त:(पु)
→ परार्थे
क्षान्ति endurance, forebearance तृतीयैकवचनान्त:(स्त्री)
→ क्षान्त्या
एव only
आक्षेप censure, blame, abuse, reproach, defiant censure
रूक्ष rough, harsh
अक्षर word
मुख mouth
आक्षेपरूक्षाक्षरमुख who speaks rough, censuring words द्वितीयाबहुवचनान्त:(पु)
→ आक्षेपरूक्षाक्षरमुखान्
दुर्जन evil, wicked द्वितीयाबहुवचनान्त:(पु)
→ दुर्जनान्
दुष् to cause to perish, to hurt, to destroy कर्तरि वर्तमानकालवाचक धातुसाधित प्रयोजक विशेषणम्
→ दूषयत्
प्रथमाबहुवचनान्त:(पु)
→ दूषयन्तः
सत् good, noble प्रथमाबहुवचनान्त:(पु)
→ सन्त:
आश्चर्य extraordinary, astonishing
चर्य practice, conduct
आश्चर्यचर्य
प्रथमाबहुवचनान्त:(पु)
→ आश्चर्यचर्याः
जगत् world सप्तम्येकवचनान्त:(न)
→ जगति
बहुमत highly esteemed or prized, valued, respected प्रथमाबहुवचनान्त:(पु)
→ बहुमताः
किम् who षष्ठ्येकवचनान्त:(पु)
→ कस्य
न not
अभि-अर्च् (अभ्यर्च्) to honour, to praise कर्मणि वर्तमानकालवाचक धातुसाधित विशेषणम्
→ अभ्यर्चनीय
प्रथमाबहुवचनान्त:(पु)
→ अभ्यर्चनीयाः
आपल्या विनयशीलतेने महान बनलेले, दुसऱ्यांच्या चांगल्या गुणांना दाद देण्याच्या स्वभावातून स्वत:च्या गुणांची जगाला ओळख करून देणारे, परोपकार करून स्वत:चा परमार्थ साध्य करणारे, आपल्या क्षमाशीलतेने निंदक दुष्टांना वश करणारे व असामान्य वर्तन असलेले सज्जन कोणाला आदरणीय नसतात?
Who would not respect those noble people with extraordinary conduct who ascend themselves through their humility, display their own virtues by appreciating the virtues of others, achieve their own supreme goal by benevolence and subdue the censuring wicked people by their endurance.
जिन्होंने अपनी विनम्रता से खुद को महान बनाया, दूसरों के अच्छे गुणों को सराहने के स्वभाव से अपने गुणों की दुनिया को पहचान दी, परोपकार द्वारा अपना परमार्थ प्राप्त किया, अपनी क्षमाशीलता से निंदा करनेवाले नीच लोगों को वश किया ऐसे असामान्य व्यवहार रखनेवाले सज्जन किसको आदरणीय नहीं होते हैं?
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